
मैं आज जो कहानी आपके सामने ला रही हूँ.. वो पॉश कालोनी की सच्चाई पर आधारित है। यह कहानी मेरी सहेली साक्षी की है जो हॉस्टल में रह कर एमबीए की स्टडी कर रही थी.. वो मूलतः पूर्वी उ.प्र. के एक गाँव की रहने वाली है। उसका परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है.. पर उसमें पढ़ाई के लिए बहुत अधिक जज़्बा है.. तो उसके लिए उसने नोएडा में एमबीए के लिए एक कॉलेज में एड्मिशन ले लिया है।
हालांकि उसे स्कॉलरशिप मिलती है पर वो पूरी नहीं आती है.. बीच में सरकारी लोग उसे खा जाते हैं.. जिसके कारण कुछ ही भाग उसके पास पहुँच पाता है.. जो उसकी जरूरत को पूरा नहीं कर पाता.. पर वो अपने घर से भी पैसे नहीं माँग सकती.. क्योंकि उसके घर वाले तो बहुत निर्धन हैं।
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